Monday 16 April 2012


दीये में जज़्बातों की बाती होती है ! Thomas Elwa Edison के बल्ब से C F L और अब neon lights की चकाचौंध, आँखों की पुतलियों पर सिकुड़ने- फैलने का करिश्मा ही कर सकती हैं -पर दिल तक तो सिर्फ मिट्टी के दीये की लौ ही पहुंचती है !
मेरे लिए दीये का धर्म से कोई रिश्ता नहीं है ! क्योंकि मै उस अबूझे , निराकार और सर्वव्यापी ईश्वर के अतिरिक्त किसी कपोल कल्पना को नहीं मानता ! धर्म के बंटवारे पर भी मेरा यक़ीन नहीं ! पर बचपन से माँ को आस्था का आँचल सर पर खींच कर दमकते दीये के आगे नतमस्तक होते देखा है ; शायद तब से मेरे लिए दीये में ममता का तेल पड़ता है !!

      फिर अकस्मात तुम आयीं ! मेरा हाथ थामकर ,तुलसी चौरे पर जलता दीपक सजा कर , उसकी धीमी आंच पर अपनी हथेली तपाती और बड़े स्नेह से मेरे माथे पर रख देती - मै भी भाव विभोर होकर तेरा माथा चूम लेता ! शायद तब से दीये की टिमटिमाती लौ की मद्धम आँच सर्वांग को छूने की कशिश पालती हैं !
राजेश पाण्डेय