Sunday 18 September 2016

बस्तर करवट ले रहा है ।

बस्तर करवट ले रहा है । हम सब इस महा परिवर्तन के साक्षी हैं । और धन्य हैं वे सब जो इस दंडकारण्य की डांडी यात्रा में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी हैं । साल के वनों ने बहुत ताप झेला है । पर हज़ारों , लाखों बरसों से सूरज की आग पी जाने वाले सागौन के पत्तों ने कभी इतनी बेचैनी नहीं देखी थी जो पिछले कुछ बरसों में महसूस की गई । " सलवा जुडूम " से " ललकार रैली " तक की स्वतः स्फूर्त हुँकार ने इस धरती के नदियों , घाटियों , झरनों , जंगलों में आशा की नई आँच पैदा कर दी है । दशकों से यहाँ के अलसाए हज़ारों गावों को जिस नक्सलवाद ने कर्फ्यू ग्रस्त कर रखा था , अब अपनी बेड़ियाँ तोड़ कर फेंकने लगे हैं । ऊँघते से रास्तों में बेख़ौफ़ दौड़ते वाहन , नक्सलवाद की छाती को रौंदने लगे हैं । यहाँ के युवाओं ने भविष्य की योजनाएँ बुननी शुरू कर दी हैं । सपनों को विश्वास और सुरक्षा के ख़ाकी पंख लग रहे हैं । वर्दी और सभ्य समाज इतना क़रीब कभी नहीं रहा । ये धरती ग़वाह है इस नए अमृत मंथन की । मैं अभिभूत हूँ , गौरवान्वित हूँ इस महा संक्रमण काल की उषा का एक अदना प्रहरी बन कर ।
                            # राजेश पाण्डेय

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